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दर्द

soch
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कल किसी ने मुझसे पूछा तुमने कभी किसी के दर्द को महसूस किया है ,
मैंने कहा हाँ हजारों बार ,
अक्सर किसी बुजुर्ग की झुकी हुई कमर और उसकी थरथराती लाठी में
किसी बूढी माँ की कराहती आवाज में ,
किसी नन्हीं बच्ची की सहमी घबरायी आखों में ,
और किसी माँ की आसुओं से डूबे चहरे में ,
और किसी बाप की लरजती हुई बेबसी में
किसी जलती हुई बेटी की चीखो में ,
किसी भूखे की टकटकी लगाये आखो में ,
किसी बेबस और लाचार के इंतजार में ,
किसी अपाहिज की लडखडाहट में ,
किसी बीमार की आह में ,
हम इंसानों में हर दर्द को महसूस करने का
एक पैमाना है,
हम दर्द को भी पैसे की तराजू में तौलते है ,
जो जितना पैसे वाला है ,
उसके दर्द को उतना बड़ा बोलते है ………….

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