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मेरी बेटी

soch
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मेरी बेटी मेरी दुनिया है . मै सोचती हूँ अगर वो नहीं होती तो मेरी जिंदगी कैसी होती ?
उजाड़ वीरान मरुस्थल जैसी. पर मै उल्टा क्यों सोचूं .सच कहूँ वो मेरी परी है, जब भी वो
घर आती है मानो ज़माने भर की खुशियाँ उसके साथ घर में आ जाती है. उसकी
खिलखिलाहट से पूरा घर गूंज उठता है. उसको गले लगाकर जो सुकून मिलता है, उसे मै
बयाँ नहीं कर सकती.कालेज की पढाई के लिए उसे मुझसे दूर जाना पड़ा. हम दोनों ही बेहद
दुखी थे पर अपना दुःख एक दुसरे से छुपाने की कोशिश कर रहे थे.मै बार-बार उसे समझती
बेटा मै अपने अधूरे सपने तुम्हारी आखों से पूरा होता देखना चाहती हूँ. मै अपनी जिंदगी में
जो ख्वाहिशें नहीं पूरी कर पाई वो जब तुम्हारे सपने परवान चढ़ेंगे तो उन्हीं में मै उन्हें पूरा
होते देखूंगी.और सच कहूँ जो मै नहीं कर सकी थी, वो आज मेरी बेटी कर रही है. मैंने कभी
अपनी बेटी के सपनों को मुरझाने नहीं दिया उसे हमेशा प्यार और हौसले से सींचती रही.
बिना किसी की परवाह किये .

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